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सत्संग भजन लिरिक्स इन हिंदी | Satsang Bhajan Lyrics

आज हमने आपके लिए सत्संग भजन लिरिक्स इन हिंदी का संग्रह प्रस्तुत कर रहा हूं, आशा करता हूं आपको Satsang Bhajan Lyrics पसंद आए।

1. उठ जाग मुसाफिर भोर भई लिरिक्स


उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है ।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जागत है सोई पावत है ॥आपको

उठ नींद से अखियाँ खोल जरा,
और अपने प्रभु में ध्यान लगा ।
यह प्रीत करन की रीत नहीं,
प्रभु जागत है तू सोवत है ॥

उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है ।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जगत है सोई पावत है ॥

जो कल करना सो आज कर ले,
जो आज करे सो अब कर ले ।
जब चिड़िया ने चुग खेत लिया,
फिर पछताए क्या होवत है ॥

उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है ।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जगत है सोई पावत है ॥

नादान भुगत अपनी करनी,
ऐ पापी पाप में चैन कहाँ ।
जब पाप की गठड़ी शीश धरी,
अब शीश पकड़ क्यूँ रोवत है ॥

उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है ।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जगत है सोई पावत है ॥

2. मनुष जनम अनमोल रे मिट्टी में ना रोल रे लिरिक्स


मनुष जनम अनमोल रे 
मिट्टी में ना रोल रे 
अब जो मिला है फिर ना मिलेगा 
कभी नही कभी नहीं कभी नही रे 
ॐ साईं नमो नमः श्री साई नमो नमः 

तू सत्संग में आया कर 
गीत प्रभु के गाया कर 
साँझ सवेरे बैठ के बन्दे 
गीत प्रभु के गाया कर 
नहीं लगता कुछ मोल रे 
मिट्टी में ना रोल रे 
अब जो मिला है फिर ना मिलेगा 
कभी नही कभी नहीं कभी नही रे 

तू है बुद बुद पानी का 
मत कर जोर जवानी का 
समझ संभल के कदम रखो 
पता नही जिंदगानी का 
सबसे मीठा बोल रे 
मिट्टी में ना रोल रे 
अब जो मिला है फिर ना मिलेगा 
कभी नही कभी नहीं कभी नही रे 

मतलब का संसार है 
इसका क्या ऐतबार है 
संभल संभल के कदम रखो 
फुल नही अंगारे है 
मन की आँखे खोल रे
मिट्टी में ना रोल रे 
अब जो मिला है फिर ना मिलेगा 
कभी नही कभी नहीं कभी नही रे 

मनुष जनम अनमोल रे 
मिट्टी में ना रोल रे 
अब जो मिला है फिर ना मिलेगा 
कभी नही कभी नहीं कभी नही रे 
ॐ साईं नमो नमः श्री साई नमो नमः

3. क्या लेकर तू आया जग में क्या लेकर तू जाएगा लिरिक्स


क्या लेकर तू आया जग में,
क्या लेकर तू जाएगा ॥

क्या लेकर तू आया जग में,
क्या लेकर तू जाएगा,
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आख़िर मे पछताएगा ॥

भाई बंधु मित्र तुम्हारे,
मरघट तक संग जाएँगे,
स्वारथ के दो आँसू देकर,
लौट के घर को आएँगे,
कोई ना तेरे साथ चलेगा,
काल तुझे ले जाएगा ॥

क्या लेकर तू आया जग मे,
क्या लेकर तू जाएगा,
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आख़िर मे पछताएगा ॥

कंचन जैसी कोमल काया,
मूरत जलाई जाएगी
जिस नारी से प्यार करा तने,
बंधन तोड़ के जाएगी,
एक महीना याद करेगी,
फिर तू याद ना आएगा॥

क्या लेकर तू आया जग मे,
क्या लेकर तू जाएगा,
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आख़िर मे पछताएगा ॥

राजा रंक पुजारी पंडित,
सबको एक दिन जाना है,
आँख खोल कर देख बावरे,
जगत मुसाफिर खाना है,
‘पवन’ कहे सब पाप पूण्य यहीं,
अंतिम साथ निभाएगा ॥

क्या लेकर तू आया जग मे,
क्या लेकर तू जाएगा,
सोच समझ ले रे मन मूरख,
आख़िर मे पछताएगा॥

4. माँ बाप से बढ़कर जग में कोई दूजा नहीं खजाना लिरिक्स


माँ बाप से बढ़कर जग में,
कोई दूजा नहीं खजाना,
जिसने तुझे जनम दिया है,
दिल उनका नहीं दुखाना ॥

पहले तो माँ ने तुझको,
नौ महीने पेट में ढोया,
सीने का खून पिलाया,
तू जब जब बन्दे रोया,
बड़ा कर्ज है तुझ पर माँ का,
तेरा धर्म है कर्ज चुकाना,
जिसने तुझे जनम दिया है,
दिल उनका नहीं दुखाना ॥

दिन रात तुझे तेरी माँ ने,
बाहों में अरे झुलाया,
खुद गीले में माँ सोई,
सूखे में तुझे सुलाया,
तू कोई भी दुःख देकर,
ना माँ को कभी रुलाना,
जिसने तुझे जनम दिया है,
दिल उनका नहीं दुखाना ॥

माँ बाप कि शरण से बढ़कर,
कोई स्वर्ग नहीं है दूजा,
सब छोड़ के तीरथ बन्दे,
कर ले माँ बाप कि पूजा,
इस जन्म मरण से तुझको,
अरे गर है मुक्ति पाना,
जिसने तुझे जनम दिया है,
दिल उनका नहीं दुखाना ॥

माँ बाप से बढ़कर जग में,
कोई दूजा नहीं खजाना,
जिसने तुझे जनम दिया है,
दिल उनका नहीं दुखाना ॥

5. दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला लिरिक्स


इस जगत सराए में मुसाफ़िर रहना दो दिन का,
रहना दो दिन का, रहना दो दिन का,
रहना दो दिन का मुसाफ़िर रहना दो दिन का,
क्यों वीरथा करे ग़ुमान मूरख इस धन और जोबन का,
नाहीं भरोसा पल का नाहीं भरोसा पल का,
यूँ ही मर जाएगा यूँ ही मर जाएगा ॥

दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला,
क्या लेके आया जगत में,
क्या लेके जाएगा,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला ॥

इस काया का है भाग,
भाग बिन पाया नहीं जाता,
करम बिना नसीब फ़ल,
तोड़ खाया नहीं जाता,
कहे सत्य नाम जग ये, झूठा झमेला,
दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला,
दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला,
क्या लेके आया जगत में,
क्या लेके जाएगा,
दो दिन की जिंदगी है,
दो दिन का मेला ॥

6. कर मन पे अधिकार ले तेरा हो गया भजन लिरिक्स


कर मन पे अधिकार ले तेरा हो गया भजन,
आदतें बुरी सुधार ले तेरा हो गया भजन ॥

दिल में भरा है छलकपट होंठो पे प्रभु का नाम,
कैसे तुम्हारे दुख में प्रभु जी आंएगे काम,
दिल से प्रभु को पुकार ले तेरा हो गया भजन,
आदतें बुरी सुधार ले... ॥

इस जग में रह के प्राणी जग वालो को न भूल,
कांटा ना बन चमन में बनना तू बन जा फूल,
इसे मन में तू उतार ले तेरा हो गया भजन,
आदतें बुरी सुधार ले... ॥

जिस हाल में है प्राणी उस में गुजर तू कर,
जितना मिला प्रभु से उस में सब्र तू कर,
इच्छायों को निवार ले तेरा हो गया भजन,
आदतें बुरी सुधार ले... ॥

सारे कुकर्म त्याग दे फिर देख ले असर,
रखते है कैसे ईश्वर मन पे नजर
भक्ति में मन को सवार ले तेरा हो गया
आदतें बुरी सुधार ले... ॥

7. नहीं चाहिए दिल दुखाना किसी का लिरिक्स


नही चाहिये दिल दुखाना किसी का,
सदा ना रहा है सदा ना रहेगा,
सदा ना रहा है सदा ना रहेगा,
जमाना किसी का,
नही चाहिये दिल दुखाना किसी का ॥

आयेगा बुलावा तो जाना पड़ेगा,
सर तुझ को आखिर झुकाना पड़ेगा,
वहाँ ना चलेगा बहाना किसी का,
नही चाहिये दिल दुखाना किसी का ॥

शोहरत तुम्हारी बह जायेगी ये,
दौलत यही पर रह जायेगी ये,
नही साथ जाता खजाना किसी का,
नही चाहिये दिल दुखाना किसी का ॥

पहले तो तुम अपने आप को सम्भलौ,
हक है नही तुमको बुराई औरों मे निकालो,
बुरा है बुरा जग मे बताना किसी का,
नही चाहिये दिल दुखाना किसी का ॥

दुनिया का गुलशन सदा ही रहेगा,
ये जहाँ मे लगा ही रहेगा,
आना किसी का जग मे जाना किसी का,
नही चाहिये दिल दुखाना किसी का ॥

नही चाहिये दिल दुखाना किसी का,
सदा ना रहा है सदा ना रहेगा,
सदा ना रहा है सदा ना रहेगा,
जमाना किसी का,
नही चाहिये दिल दुखाना किसी का ॥

8. करना सेवा सत्कार करना हर किसी से प्यार लिरिक्स


करना सेवा सत्कार, करना हर किसी से प्यार,
न कभी भी किसी का दिल दुखाना रे ।
लेके जग से बुराई मत जाना रे,
अच्छे कर्मो से जीवन सजाना रे ।

घर आये को भगवान् समझना,
अपने ही जैसा इंसान समझना ।
मीठी वाणी उसको बोल, वाणी होती है अनमोल ।
तीखी वाणी किसी को मत सुनाना रे ।
प्यार अपना सभी पे तू लुटाना रे ।

तुच्छ समझ किसी पर नहीं हंसना,
सब पे सम-रस भाव तुम रखना,
पढ़ना गीता का उपदेश, उसमे है जी ये सन्देश,
कहाँ रहता है एक सा ज़माना रे ।
भाव-भगति में मन को रमाना रे ।

पाप का धन अपने घर तू ना लाना,
खून-पसीने की रोटी ही खाना ।
मेहनत करना आठों याम, किरपा करेंगे तुझपे राम ।
सत्य-पथ से ना पग को डिगाना रे ।
बुरे कर्मों को हाँथ ना लगाना रे ।

मन में कभी तू अभिमान ना करना,
जग में किसी का अपमान ना करना ।
ऊपर होगा सब हिसाब, दोगे कैसे तुम जवाब,
फिर तुझको पड़ेगा पछताना रे ।
रह जायेगा यहीं पर खजाना रे ।

करना सेवा सत्कार, करना हर किसी से प्यार,
न कभी भी किसी का दिल दुखाना रे ।
लेके जग से बुराई मत जाना रे,
अच्छे कर्मो से जीवन सजाना रे ।

करना सेवा सत्कार, करना हर किसी से प्यार,
न कभी भी किसी का दिल दुखाना रे ।

9. ओ पापी मन करले भजन लिरिक्स


ओ पापी मन करले भजन,
मौका मिला है तो करले जतन ॥

ओ पापी मन करले भजन,
मौका मिला है तो करले जतन,
बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा ॥

चार दिनों का है जग का मेला,
कोई ना साथी संगी अकेला।
जैसा तू आया जग में वैसा ही तू जाएगा,
मुठ्ठी बाँध के आया जग में,
हाथ पसारे जाएगा,
हो बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा ॥

भाई बंधू कुटुंब कबीला,
ये तो जग का झूठा झमेला,
मरने के बाद तुझे आग में जलाएंगे,
तेरह दिनों का तेरा मातम मनाएंगे,
बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा ॥

राम नाम का सुमिरण करले,
राम जी का नाम प्यारे घट में धर ले,
राम जी का नाम प्यारे काम तेरे आएगा,
जीवन मरण से तू मुक्ति पा जायेगा,
बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा ॥

ओ पापी मन करले भजन,
मौका मिला है तो करले जतन,
बाद में प्यारे पछताएगा जब,
पिंजरे से पंछी निकल जाएगा ॥

10. साँवरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है लिरिक्स


साँवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें ।
हमें हरी गुण गाना है,
सांवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है ॥

मथुरा में ढूंढा तुझे,
गोकुल में पाया है,
वृन्दावन की गलियों में ।
मेरे श्याम का ठिकाना है,
सांवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है ॥

बागो में ढूँढा तुझे,
फूलों मे पाया है,
मोगरे की कलियों में ।
मेरे श्याम का ठीकाना है,
सांवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है ॥

सखियों ने ढूँढा तुझे,
गोपियों ने पाया है,
राधा जी के हृदय में ।
मेरे श्याम का ठीकाना है,
सांवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है ॥

राधा ने ढूंढा तुझे,
मीरा ने पाया है,
मैंने तुझे पा ही लिया ।
मेरे दिल में ठिकाना है,
सांवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है ॥

महलों मे ढूँढा तुझे,
झोपड़ी में पाया है,
सुदामा की कुटिया में ।
मेरे श्याम का बसेरा है,
सांवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है ॥

मीरा पुकार रही,
आओ मेरे गिरधारी,
विष भरे प्याले को ।
तुम्हे अमृत बनाना है,
सांवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है ॥

साँवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें ।
हमें हरी गुण गाना है,
सांवरे से मिलने का,
सत्संग ही बहाना है ॥

11. सत्संग में आकर के जीवन सफल कर ले लिरिक्स


सत्संग में आकर के,
जीवन सफल कर ले,
मेरे मन कर जतन,
सत वचन सुन ले ॥

कागा हंसा बने सत्संग करके,
सब पाप भस्म हो जलकर के,
आए यहां जो चलकर के,
नही मन भीतर कोई छल करके,
मेरे मन कर जतन,
सत वचन सुन ले ॥

नया जीवन मिलेगा सत्संग में,
रंग जायेगा तन मन प्रभु रंग में,
ज्ञान खड़ग हो जब संग में,
यमदूत भाग जाए जंग में,
मेरे मन कर जतन,
सत वचन सुन ले ॥

पूज्य गुरू की कृपा जब हो जाएगी,
तेरी लख चौरासी खो जाएगी,
मुक्ति तुम्हारी हो जाएगी,
और देह परम पद को पाएगी,
मेरे मन कर जतन,
सत वचन सुन ले ॥

रीता सत्संग में आके ना कोई गया,
जीता पांचों विषय और मोह गया,
गुरु रामपुरीजी ने किनी दया,
जब कानपुरी तो निर्भय भया,
मेरे मन कर जतन,
सत वचन सुन ले ॥

सत्संग में आकर के,
जीवन सफल कर ले,
मेरे मन कर जतन,
सत वचन सुन ले ॥

12. राम भजन कर प्राणी तेरी दो दिन की जिन्दगानी लिरिक्स


तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी,
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी,
काया-माया बादल छाया, मूरख मन काहे भरमाया,
उड़ जायेगा साँसका पंछी, फिर क्या है आनी-जानी,
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी ॥

जिसने राम-नाम गुन गाया, उसको लगे ना दुखकी छाया,
निर्धनका धन राम-नाम है, मैं हूँ राम दिवानी,
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी,
जिनके घरमें माँ नहीं है, बाबा करे ना प्यार,
ऐसे दीन अनथोंका है, राम-नाम आधार,
मुखसे बोलो रामकी बानी, मनसे बोलो रामकी बानी,
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी ॥

सजन सनेही सुखके संगी, दुनियाकी है चाल दुरंगी,
नाच रहा है काल शीश पे, चेत-चेत अभिमानी,
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी,
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी ॥

13. चली जा रही है उम्र धीरे धीरे लिरिक्स


चली जा रही है उम्र धीरे धीरे,
पल पल आठों पहर धीरे धीरे,
जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे,
चली जा रही है उमर धीरे धीरे ॥

बचपन भी जाए जवान भी जाए,
बुढापा का होगा असर धीरे धीरे,
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
छोटी सी जिंदगानी चार दिन की जवानी,
चली जा रही है उम्र धीरे धीरे ॥

शिथल अंग होंगे सब इक दिन तुम्हारे,
फिर मंद होगी नज़र धीरे धीरे,
चली जा रही है उम्र धीरे धीरे,
छोटी सी जिंदगानी चार दिन की जवानी ॥

बुराई से मन को तू अपने हटा ले बन्दे,
बन जाए तेरा जीवन धीरे धीरे,
चली जा रही है उम्र धीरे धीरे ॥

भजन कर हरी का तू पल पल प्यारे,
मिल जाएगा वो सजन धीरे धीरे,
चली जा रही है उम्र धीरे धीरे ॥

14. भरदे रे श्याम झोली भरदे ना बहला ओ बातों में लिरिक्स


​भरदे रे श्याम झोली भरदे,
भरदे, ना बहला ओ बातों में,
ना बहला ओ, बातों में ॥

दिन बीते बीती रातें,
अपनी कितनी हुई रे मुलाकातें,
तुझे जाना पहचाना,
तेरे झूठे हुए रे सारे वादे,
भूले रे श्याम तुम तो भूले,
क्या रखा है बातों में,
​भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥

नादान है अनजान हैं,
श्याम तू ही मेरा भगवान है,
तुझे चाहूं तुझे पाऊं,
मेरे दिल का यही अरमान है,
पढ़ ले रे श्याम दिल की पढ़ले,
सब लिखा है आंखों में,
​भरदे रे श्याम झोली भरदे ॥

मेरी नैया ओ कन्हैया,
पार करदे तू बनके खिवैया,
मैं तो हारा, गम का मारा,
आजा आजा ओ बंशी के बजैया,
लेले रे श्याम अब तो लेले,
लेले, मेरा हाथ हाथों में,
​भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥

मैं हूं तेरा तू है मेरा,
मैंने डाला तेरे दर पे डेरा,
मुझे आस है विश्वास है,
श्याम भर देगा दामन तु मेरा,
झूमें रे श्याम नन्दू झूमें,
झूमें, तेरी बांहों में,
भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥

​भरदे रे श्याम झोली भरदे,
भरदे, ना बहला ओ बातों में,
ना बहला ओ, बातों में ॥

15. सत्संग में सब आया करो यो जीवन सफल बनाया करो लिरिक्स


सत्संग में सब आया करो,
यो जीवन सफल बनाया करो ॥

आओ र भक्तो कर्म कमालो,
आओ र भक्तो कर्म कमालो,
ईश्वर के गुण गाया करो,
जीवन सफल बनाया करो ॥

निर्त्य सूरत के दो पहल बनालो,
निर्त्य सूरत के दो पहल बनालो,
मन ने हाली लगाया करो,
जीवन सफल बनाया करो ॥

काया नगर की धरती बनालो,
काया नगर की धरती बनालो,
बीज नाम का बोया करो,
जीवन सफल बनाया करो ॥

जब तेरी खेती जामण लागे,
जब तेरी खेती जामण लागे
छेता बाड़ खरया करो,
जीवन सफल बनाया करो ॥

पापण चिड़िया चुगण ने आवे,
पापण चिड़िया चुगण ने आवे,
ज्ञान के गोले बगाया करो,
बाबा के गुण गाय करो ॥

शरण मच्छदरजाति गोरख बोले,
शरण मच्छदरजाति गोरख बोले,
भरम की मुरडी ढाया करो,
जीवन सफल बनाया करो ॥

सत्संग में सब आया करो,
यो जीवन सफल बनाया करो ॥

16. मेरे सतगुरु जी तुसी मेहर करो लिरिक्स


मेरे सतगुरु जी तुसी मेहर करो,
मैं दर तेरे ते आई हुई या,
मेरे कर्मा वल ना वेखेयो जी,
मैं कर्मा तो शरमाईं हुई या,
मेरे सतगुरु जी तुसी मेहर करो,
मैं दर तेरे ते आई हुई या ॥

जो दर तेरे ते आजांदा,
ओह असल खजाने पा जांदा,
मैंनू वी खाली मोड़ी ना,
मैं वी दर ते आस लगाई हुई या,
मेरे कर्मा वल ना वेखेयो जी,
मैं कर्मा तो शरमाईं हुई या ॥

तुसी तारणहार कहोंदे हो,
डूबेया नु बन्ने लोंदे हो,
मेरा वी वेडा पार करो,
मैं वी दुःखीयरण आई हुई या,
मेरे सतगुरु जी तुसी मेहर करो,
मैं दर तेरे ते आई हुई या ॥

सब संगी साथी छोड़ गये,
सब रिश्ते नाते तोड़ गए,
तू वी किदरे ठुकरावीं ना,
ए सोच के मैं घबराईं हुई या,
मेरे कर्मा वल ना वेखेयो जी,
मैं कर्मा तो शरमाईं हुई या ॥

मेरे सतगुरु जी तुसी मेहर करो,
मैं दर तेरे ते आई हुई या,
मेरे कर्मा वल ना वेखेयो जी,
मैं कर्मा तो शरमाईं हुई या,
मेरे सतगुरु जी तुसी मेहर करो,
मैं दर तेरे ते आई हुई या ॥

17. मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान सागर में नैया डाल दई लिरिक्स


मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ।
मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥

काहे की या नाव बनाई,
काहे की पतवार,
रामा काहे की लगा दी जंजीर,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥

राम नाम की नाव बनाई,
भक्ति की पतवार,
ओ रामा ज्ञान की लगा दी जंजीर,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥

कौन सखी वामें बैठनहारे,
कौन है खेवनहार,
रामा कौन लगाहे बेड़ा पार,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥

सीता मैया बैठनहारी,
लक्ष्मण खेवनहार,
मोरे राम जी लगावे बेड़ा पार,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥

तुलसीदास आस रघुवर की,
चरणन में बलिहार,
मोरे बालाजी लगाहे बेडा पार,
सागर में नैया डार दई ।
मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान
सागर में नैया डाल दई ॥

मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ।
मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥

18. काया तेरी हो गयी पुरानी लिरिक्स


हरी का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हो गयी पुरानी काया हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी ॥

ये काया कागज का टुकड़ा,
बून्द लगे घुल जाए,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी ॥

ये काया में आग लगेगी,
धुंआ उड़ेगा आसमानी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी ॥

कृष्ण भजन कर ओ मन पंछी,
छण भर की जिंदगानी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी ॥

कहे जन सिंगा सुनो भाई साधो,
गुरु की चरण है सुहानी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी ॥

हरी का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हो गयी पुरानी काया हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी ॥

19. भरदे रे श्याम झोली भरदे लिरिक्स


​भरदे रे श्याम झोली भरदे,
भरदे, ना बहला ओ बातों में,
ना बहला ओ, बातों में ॥

दिन बीते बीती रातें,
अपनी कितनी हुई रे मुलाकातें,
तुझे जाना पहचाना,
तेरे झूठे हुए रे सारे वादे,
भूले रे श्याम तुम तो भूले,
क्या रखा है बातों में,
​भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥

नादान है अनजान हैं,
श्याम तू ही मेरा भगवान है,
तुझे चाहूं तुझे पाऊं,
मेरे दिल का यही अरमान है,
पढ़ ले रे श्याम दिल की पढ़ले,
सब लिखा है आंखों में,
​भरदे रे श्याम झोली भरदे ॥

मेरी नैया ओ कन्हैया,
पार करदे तू बनके खिवैया,
मैं तो हारा, गम का मारा,
आजा आजा ओ बंशी के बजैया,
लेले रे श्याम अब तो लेले,
लेले, मेरा हाथ हाथों में,
​भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥

मैं हूं तेरा तू है मेरा,
मैंने डाला तेरे दर पे डेरा,
मुझे आस है विश्वास है,
श्याम भर देगा दामन तु मेरा,
झूमें रे श्याम नन्दू झूमें,
झूमें, तेरी बांहों में,
भर दे रे श्याम झोली भरदे ॥

​भरदे रे श्याम झोली भरदे,
भरदे, ना बहला ओ बातों में,
ना बहला ओ, बातों में ॥

20. कबीरा जब हम पैदा हुए जग हँसे हम रोये लिरिक्स


कबीरा जब हम पैदा हुए,
जग हँसे,हम रोये ।
ऐसी करनी कर चलो,
हम हँसे,जग रोये ॥

चदरिया झीनी रे झीनी
राम नाम रस भीनी
चदरिया झीनी रे झीनी

अष्ट-कमल का चरखा बनाया,
पांच तत्व की पूनी ।
नौ-दस मास बुनन को लागे,
मूरख मैली किन्ही ॥
चदरिया झीनी रे झीनी...

जब मोरी चादर बन घर आई,
रंगरेज को दीन्हि ।
ऐसा रंग रंगा रंगरे ने,
के लालो लाल कर दीन्हि ॥
चदरिया झीनी रे झीनी...

चादर ओढ़ शंका मत करियो,
ये दो दिन तुमको दीन्हि ।
मूरख लोग भेद नहीं जाने,
दिन-दिन मैली कीन्हि ॥
चदरिया झीनी रे झीनी...

ध्रुव-प्रह्लाद सुदामा ने ओढ़ी चदरिया,
शुकदे में निर्मल कीन्हि ।
दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी,
ज्यूँ की त्यूं धर दीन्हि ॥
के राम नाम रस भीनी,


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